विपरीत समय
विपरीत समय BY AMIT ANANT कोई ताल मेल नही,रखे बहुत अभिमान। साथ साथ रहते मगर,नहीं करे सम्मान। नहीं करें सम्मान, बड़े बूढ़ों का अपने। करते ऐसे बात, बड़े हों इनके सपने। ऐसों की हो हार, भले जो कोई होई। ऐसों का क्या भाग्य,साथ देता नहीं कोई।। VIPRIT SAMAY... आजकल समय बहुत विपरीत दिशा में चल रहा है और आज कल के समय मे लोगों का बहुत अजीब बर्ताव होता जा रहा है सभी अपने आप मे इतने ज्यादा Busy रहते है कि किसी के पास कोई time नही है कि अपने घर परिवार में बैठ कर अपने बढ़ो बुजुर्गों के साथ कुछ समय दे सभी आज के समय को Survive करने के लिए भाग दौड़ में लगे रहते है और इन परिस्थितियों को देखते हुए यह भी एहसास हो रहा है कि लोग अपने बड़े बुढो की किसी प्रकार से बात को सुनना और समझना नही चाहते है। VIPRIT SAMAY... इस विपरीत समय को देखो तो लगता है कि आजकल के लोगों के अन्दर Talmel जैसे कोई भाव नही बचा है और लोगो के अन्दर अभिमान बढ़ता जा रहा है और ऐसे स्थिति में साथ...