ZINDAGI SUN!

"ज़िन्दगी सुन!" BY AMIT ANANT ये ज़िन्दगी सुन ले मेरी बात तू जितना मर्जी, दर्द दे ले फिर भी तुम्हे मैं जी कर दिखाऊँगा। तेरा काम होता है हर मोड़ पर हमें दर्द देना, तेरे दिए हुए दर्द को मैं सह कर दिखाऊँगा। तेरे हर एक फितरत को जानते है यह दुनिया, फिर भी तेरे फितरत में मैं रह कर दिखाऊँगा। तुम जरूरत से ज्यादा तेज बनती हो हरदम, पर तुम्हें एक दिन तो मैं पक्का समझाऊँगा। तुम कितनी स्वार्थी सी बन गयी हो दुनिया मे, इसका मज़ा तुम्हें एक दिन सच में चखाऊंगा। तेरी ख्वाहिश बहुत बड़ी बड़ी होती है हरदम, तेरी इस ख्वाहिश को मैं पूरा कर दिखाऊँगा। चाहे तेरी हर चाह को मैं ना काम करना पड़े, तुझे मैं अपने ही हिसाब से जी कर दिखाऊँगा।। ZINDAGI SUN... ये ज़िन्दगी तू कान खोल कर सुन ले..! तू जितनी मर्जी मुझको दर्द दे ले ........पर तू मुझको हरा नही पायेगी। तुझको मैं अपनी मर्जी से जी कर दिखाऊँगा। तेरा काम होता है हर मोड़ पर हर एक को दर्द देना पर तेरे दिए हुए हर दर्द को हँस कर अपने हिसाब से तेरे दर्द को सह कर दिखाऊँगा। ZINDAGI SUN... ये ज़िन्दगी तेरी फ़ितरत को मैं अच्छी तरह से ज...