MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS

महान पराक्रमी नेता जी सुभाष चंद बॉस...


BY AMIT ANANT

हे भारत के युवा जनों,तुम भारत माँ की शान बनाओ।
सुबास चंद बोस के जैसे,अपनी एक पहचान बनाओ।
माँ को आँख दिखाए जो,उसको सबक सिखाते रहना,
सब भारत देश से डरते रहे,ऐसा हिंदुस्तान बनाओ।।

     MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...एक स्वतंत्रता सेनानी के बारे में सोचें तो एक वीर योद्धा, एक महान सेनापति, कुशल राजनीतिज्ञ जैसे, तो एक ही नाम आता है , जो है नेताजी "सुभाष चंद्र बोस", उन्ही का चेहरा ही आता है। उनके व्यक्तित्व के बारे में जितना कुछ भी लिखा और बोला जाए ,वो कम है। नेताजी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए बहुत कुछ किया है।उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन से लेकर, हर भारतीय को आजादी का महत्व बताने तक ,हर एक काम नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया है। तो आइए, आज हम आपको नेताजी के जीवन के बारे में कुछ बताने की कोशिश करते है। उनका जन्म 23 जनवरी 1897और उनकी जीवन का आखिरी दिन 18 अगस्त 1945 था।


      MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...नेता जी सुभाष चंद्र बोस का जन्म जनवरी 23 सन 1897 में उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था।उनके पिता जानकी नाथ बोस जाने माने वकील माने जाते थे। उनकी माता प्रभावती देवी धार्मिक महिला थीं।उनके पिता जानकी नाथ और माता प्रभावती की 14 संतानें हुई थीं जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटों का जन्म हुआ था।और सुभाष चंद्र उनमें से 9 वे स्थान पर जन्मे थे। सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार और होनहार थे। सुभाष चंद्र बोस ने दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। और साथ मे स्नातक में भी सुभाष चंद्र बोस ने प्रथम स्थान पाये थे। और कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्तानक की डिग्री भी की थी। और उसी दौरान सेना में भर्ती चल रही थी। उन्होंने भी सेना में भर्ती होने का प्रयन्त किया था परंतु आंखें खराब होने के कारण उनकी भर्ती नही हो पाई थी वे अपने परिवार की इच्छा के अनुसार वर्ष 1919 में सुभाष भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गये।
     MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए उन्होंने 1920 में आवेदन किया था और इस परीक्षा में उनको न सिर्फ सफलता मिली बल्कि उन्होंने चौथा स्थान भी प्राप्त किया था। और वे जलियावाला बाग के नरसंहार के बहुत चिंतित हुए। 1921 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था। और भारत वापस आ गए थे।और भारत वापस आने के बाद नेता जी गांधीजी से मिल कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये थे। गांधी जी के निर्देशानुसार उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम करना शुरू कर दिया था।  फिर उन्होंने बाद में चितरंजन दास को अपना राजनैतिक गुरु भी बताया था। और अपनी सूझ-बूझ और मेहनत से सुभाष चंद बोस बहुत जल्द ही कांग्रेस के मुख्य नेताओं में शामिल हो गये थे।
       MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...सन 1928 में जब साइमन कमीशन आया था, तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया और काले झंडे दिखाए थे। और 1928 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कोलकाता में हुआ था। इस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार को डोमिनियन स्टेटस’ देने के लिए एक साल का वक्त दिया गया था। और उस दौरान गांधी जी पूर्ण स्वराज की मांग से सहमत नहीं थे। और वहीं सुभाष चंद्र बोस को और जवाहर लाल नेहरू को पूर्ण स्वराज की मांग से पीछे हटना बिलकुल भी मंजूर नहीं था। और सन  1930 में उन्होंने इंडीपेंडेंस लीग का गठन किया था। सन 1930 के ‘सिविल डिसओबिडेंस’ आन्दोलन के दौरान सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था।और गांधी जी इरविन पैक्ट के बाद सन 1931 में उनकी जमानत हुई।और सुभाष ने गाँधी इरविन पैक्ट का विरोध किया था और सिविल डिस ओबिडेंस आन्दोलन को रोकने के फैसले से भी वह खुश नहीं थे।
        MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...सुभाष चंद्र बोस को जल्द ही ‘बंगाल अधिनियम’ के अंतर्गत दोबारा जेल में भेज दिया था।और इस दौरान उनको करीब एक साल तक जेल में रहना भी पड़ा था और बाद में बीमारी की वजह से उनको जेल से छुट्टी मिली थी।उनको भारत से यूरोप भेज दिया गया था और वहां उन्होंने भारत और यूरोप के मध्य राजनैतिक और सांकृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कई शहरों में केंद्र स्थापित किये। उनके भारत आने पर पाबंदी लगने के बावजूद वो भारत आये और उसके बदले में उन्हें 1 साल के लिए जेल जाना पड़ा था। और 1937 के चुनावों के बाद कांग्रेस पार्टी 7 राज्यों में सत्ता में आई और इसके बाद सुभाष चंद्र बोस को जमानत मिल गयी थी। और इसके कुछ समय बाद सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन के सन 1938 में अध्यक्ष चुने गये। और अपने कार्यकाल के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने ‘राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया।और सन 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष को दोबारा से अध्यक्ष चुना गया और इस बार सुभाष चंद्र बोस का मुकाबला पट्टाभि सीतारमैया से हुआ। सीतारमैया को गांधीजी का पूर्ण समर्थन प्राप्त था फिर भी 203 मतों से सुभाष चंद्र बोस ने चुनाव जीत गये। इस दौरान द्वितीय विश्वयुध्द के बादल भी मडराने लगे थे और सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों को 6 महीने में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया था।और  सुभाष चंद्र बोस के इस फैसले का विरोध गांधीजी समेत कांग्रेस के अन्य लोग भी करने लगे।और जिसके कारण उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी देना पड़ा और फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना कि थी।
       MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रजों द्वारा भारत के संसाधनों का द्वितीय विश्व युद्ध में उपयोग करने का घोर विरोध किया था और इसके खिलाफ जन आन्दोलन भी शुरू कर दिया था। और उनके इस आंदोलन को जनता का बहुत समर्थन मिल रहा था। इस लिए उन्हें कोलकाता में कैद करके नजरबन्द भी रखा गया जनवरी माह सन 1941 में सुभाष चंद्र  बोस अपने घर से भागने में सफल हो गये और अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुँच करके उन्होंने ब्रिटिश राज को भारत से निकालने के लिए जर्मनी और जापान से मदद की गुहार लगानी शुरू कर दि।जनवरी माह सन 1942 में उन्होंने रेडियो बर्लिन से प्रसारण करना शुरू किया था जिससे भारत के लोगों में उत्साह बढ़ने लगा था। वर्ष 1943 में वो जर्मनी से सिंगापुर आये। और पूर्वी एशिया पहुंचकर उन्होंने रास बिहारी बोस से ‘स्वतंत्रता आन्दोलन की कमान ली थी और आजाद हिंद फौज का गठन करके युद्ध की तैयारी करनी शुरू कर दी। आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना सही मायने में जापानी सेना द्वारा अंग्रेजी फौज से पकड़े गये भारतीय युद्धबन्दियों को लेकर कि गई थी। और तभी से सुभाष चंद्र बोस को ‘नेताजी’ कहा जाने लगा और आजाद हिन्द फ़ौज भारत की ओर बढ़ने लगी। और सबसे पहले अंडमान और निकोबार को आजाद करवाया और आजाद हिंद फौज आगे जा कर 18 मार्च 1944 को भारतीय भूमि पर आ पहुंची थी। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान और जर्मनी के हार के साथ आजाद हिन्द फ़ौज का सपना पूरा नहीं हो सका।
      MAHAN PRAKRAMI NETA JI SUBHAS CHANDRA BOSS...सुभाष चन्द्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ और ‘जय हिन्द’ जैसे प्रसिद्द नारे लगवाए थे और सुभाष चंद्र बोस को ‘नेता जी’ भी बुलाया जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रख्यात नेता होने के बावजूद देश की आज़ादी में योगदान का ज्यादा श्रेय महात्मा गाँधी और नेहरु को दिया गया है।जो कि सबसे अच्छा और ज्यादा योगदान भारत के महान सेनानी, पराक्रमी एवं वीर योद्धा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का था।
धन्यवाद

@Amit anant
        Delhi

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