SAMAJH SAMAJH KI BAAT

समझ समझ की बात...


BY AMIT ANANT

समझ समझ की बात है जो समझ गया वो ना समझ है।
समझ समझ मे जो नही समझा, वही यहाँ ना समझ है।
मनुष्य को समझाने के लिए प्रकृति ही मुसीबतें देती है,
समझ के जो फिर भी ना समझे,तुम समझना,वो ना समझ है।।

      SAMAJH SAMAJH KI BAAT....मझ क्या है ....? समझ होश है। चेतना है।और सत्य है। अगर हम चेतना में , होश में है सत्य की राह पर है ....तो उसी को समझ माना जाता है। और जो सत्य को देखते हुए ,समझते हुए भी उसको समझना नही चाहते है सब कुछ देख रहे है कि यह गलत है ,ऐसा होना गलत है,परन्तु उसको रोकना और देखना नही चाहते है ....यह समझ नही है।...क्यों कि लोगों को लगता है उनको क्या लेना देना है...जो हो रहा है होने दो...कौन सा कुछ उनके साथ हो रहा है।...जब उनके साथ कुछ गलत होगा तो देखेगें....परन्तु यह बहुत ही गलत बात है ....क्यों कि तुम मनुष्य के रूप में जन्म लिए हो...तुम अपनी मानवता को क्यों भूल रहे हो...केवल वही एक चीज तो बची हुई है तुम्हारे पास ,बाकी तो सब खत्म हो गया है....तो कम से कम उसको तो बचा के रखो।

       SAMAJH SAMAJH KI BAAT...साथियों ! आजकल के समय मे लोगो में समझ बहुत ज्यादा होती है ,जो कि देखा जाए तो लोगो को उतनी समझ होती नही है... परन्तु बात  बहुत बड़ी -बड़ी करते है। किसी भी इंसान को देख लो सब की समझ बहुत ऊँची होती है।..बेशक उनके समझ मे कुछ आये या ना आये परन्तु समझ बहुत रखते है। कोई प्रेम में रखता है, तो कोई धन -दौलत में रखता है, तो कोई एक दूसरे को नीचा दिखाने में रखता है। परन्तु समझ सभी रखते है कुछ कुछ अच्छे कर्मो में  ,कुछ अच्छे आचरण में ,कुछ अपने ज़िन्दगी पर, कुछ अपने व्यवसाय पर भी समझ रखते है।परन्तु दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि ज्यादातर लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने में समझ रखते है।कोई अच्छी और सही बात को बोल दे तो भी लोग उसको मानने को ...समझने को तैयार नही है।...अभी किसी का बच्चा कुछ गलत कर रहा हो और आप देख लिए तो...ठीक है कोई बात नही है....परन्तु देख कर उसको घर वालो को कुछ बताने चले गए ...तो समझ लो कि तुम सबसे बड़े दुश्मन हो गए उसके ...ऐसा क्यों होता है....??जो कि उसको खुद को भी पता है कि उसके बच्चे ने गलत किया है ...परन्तु फिर भी आप की भावनाओं की कद्र नही करेगा....बल्कि आप को वो दुश्मन ही समझेगा।

          SAMAJH SAMAJH KI BAAT...आज के समय मे आईना दिखाना सबसे बड़ी बेवकूफी मानी जाती है...ऐसा क्यों...???क्यों कि लोग अपने आप को भूल चुके है...अपने हृदय की बात  को नही सुन पाते है......केवल मन की बात को ही सुनते है...और यह मानवता के लिए और मानव जीवन के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है....पता नही कब लोगो के भीतर सत्य की समझ आएगी...आएगी भी की नही, ये समझना मुश्किल हो रहा है....बस इस मानवता के जीवन...(मानवता नही कह सकते...यह दानवता के जीवन) मे कब मानवता आएगी...कब लोग सत्य को समझेंगे...क्या होगा इस पृथ्वी का ....माँ भारती भी सोचती होगी....कैसे मनुष्य का निर्माण हो रहा है।मनुष्य तो है ही नही ....लोभी ,लालची, पाखंडी, मतलबी,कैसे कैसे लोग है...स्वार्थ सिद्धि के लिए ...तो अपने ज़मीर को बेच देते है। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बनती जा रही है यह दुनिया बहुत ही विचित्र भावनाओं में बहती जा रही है।

         SAMAJH SAMAJH KI BAAT...आज के समय मे सभी मे संस्कृति ,संस्कार ,प्रेम ,भाव, समर्पण इत्यादि धीरे धीरे समाप्ति के ओर अग्रसर होता जा रहा है....अब तो अदब ,लिहाज ,छोटे,बड़े, सभी में एक समानता होती जा रही है और यह सभी ...समझ होते हुए भी ना समझी के वजह से हो रहा है। क्यों कि लोगों में समझ होने का प्रभाव बहुत अधिक होता जा रहा है और यह मानवता के लिए बहुत ही हानिकारक होता जा रहा है। समझ होना गलत बात नही है परन्तु उस समझ से सही चीजो को समझना बहुत जरूरी है...अगर हम अपनी समझ से सही और गलत को नही समझ सकते,सत्य एवं झूठ को नही समझ सकते,अच्छे एवं बुरे को नही समझ सकते तो ऐसे समझ को होना ना होना बात बराबर है हमारा तात्पर्य सिर्फ इतना है कि ईस्वर ने हमे आप को सब कुछ पूर्ण रूप से दिया है बस उस ईस्वर के दिये हुए चीजो से अच्छे बुरे ,सही गलत को समझना है और प्रेम ,भाव, समर्पण से प्रेम मय जीवन को जीना है।

  साथियों यह लेख कैसे लगा कृपया अवगत कराएं एवं अपने शुभाशीष देने की कृपा करें।

                            "धन्यवाद"

@Amit anant
        Delhi

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