SVABHAAV

स्वभाव...

BY AMIT ANANT

स्वभाव को बदलना बड़ा मुश्किल है।
अभाव को समझना बड़ा मुश्किल है।
अभाव को समझना आसान होता तो,
स्वभाव पर चलना बड़ा मुश्किल है।।

     SVABHAAV...एक साधु महात्मा थे वो एक दिन सुबह सुबह नदी के किनारे ध्यान में बैठे थे और जैसे ध्यान लगाए वैसे ही एक बिच्छू आया और महात्मा जी के पाव में डंक मार दिया। महात्मा जी अपने आँख खोल के उस बिच्छू को उठा के थोड़ी दूर में रख दिये और फिर आँख बंद करके ध्यान लगाए। और जैसे ही ध्यान लगाए वैसे ही  दुबारा से बिच्छू आ के पाव में डंक मार दिया। और फिर महात्मा जी आँख खोले और बिच्छू को उठा के दूर कर दिए।
     SVABHAAV...ऐसे ही बिच्छू 5 पाँच बार कर चुका अब महात्मा जी के शिष्य ये सब दृश्य देख कर सोच में पड़ गये।आख़िर जब महात्मा जी ध्यान से उठ गए तो एक शिष्य ने हिम्मत करके पूछा..?? गुरुदेव क्षमा कीजियेगा पारन्तु ये बिच्छू आप को बार बार डंक मार रहा था। और आप फिर भी उसको कुछ किये नही बल्कि बार बार अपने से दूर कर देते थे। ऐसा क्यों गुरु जी.?कृपया हमें अपने वाणी से समझाने की कृपा करे।
      SVABHAAV...तब गुरु जी बोले कि प्रिय शिष्य बात यह है। कि कोई भी जीव प्राणी मात्र अपने स्वभाव को नही बदलता है। उसका कार्य ही है डंक मारना। वह अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से कर रहा था। इस लिए हमने उसको कुछ नही किया। क्यों कि वो अपने कार्य को बहुत शांतिपूर्ण रूप से कर रहा था। अब परमात्मा के सृजन को हम भला कैसे रोक सकते है। क्यों कि जैसे हमे आप को सभी को जीवन जीने का अधिकार है वैसे ही उसको पूर्ण रूप से जीवन जीने का अधिकार है। इस लिए हमने उसके कार्य से विचलित नही हुए।
     SVABHAAV...सभी शिष्य गुरुदेव की बातों को सुन कर अपने पूजनीय गुरुदेव को धन्यवाद दिए और नमन किये।


      SVABHAAV...प्यारे साथियों इस लिए कहा जाता है कि किसी के स्वभाव को बदलना मुश्किल ही नही नामुमकिन है और पूरे मृत्यु लोक में सभी अपने कार्य को सच्ची ईमानदारी और पूर्ण निष्ठा से करते है। केवल मनुष्य ही है जो अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से नही करते है और यह हमारे लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।
     
                "धन्यवाद"

@Amit anant
        Delhi

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