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Showing posts from December, 2020

ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI

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आध्यत्म ही जीवन का महत्वपूर्ण अंग है... BY AMIT ANANT जीवन कितना सुन्दर है,उसका अभिमान करो। जीवन में खुशियाँ आती है,उसका सम्मान करो। देखोगे जो हृदय से, तो बात समझ में आएगी, जो पल है कितना सुन्दर,उसका गुड़गान करो।।     ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI... मनुष्य के जीवन मे आध्यात्मिकता होना बहुत जरूरी होता है, बिना अध्यत्मिकता के मनुष्य का जीवन अधूरा होता है क्यों कि मनुष्य को समझ और ज्ञान अध्यत्मिकता से ही आती है।और जीवन मे आध्यत्म रहने से मनुष्य को सहनशीलता अधिक होती है और जिस मनुष्य के जीवन मे सहनशीलता होती है वो अपने विवेक का उपयोग करके जीवन को बहुत ही सुन्दर भाव, समझ एवं प्रेम से जीता है। और अपने ज्ञान से अपने आप को एवं अपने आस पास स्वच्छता रखता है। और साथ मे सदैव सेवा-भाव,प्रेम-भाव एवं आनंदमय जीवन जीता है।और सदैव दुसरो के हित का कार्य करता है।     ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI... मनुष्य में आध्यत्म रहने से अच्छी सोच और नीत से हर एक कार्य को करके अच्छे ऊंचाइयों को छूता है और अपने हर कार्य को कुशलता पूर्वक करके उच्च स्थान प्राप्त करता है...

CORONA KAAL MEIN SWASTH REHNA BAHUT JARURI HAI

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कोरोना काल मे स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है... BY AMIT ANANT अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करनी है। अपने बच्चों की रक्षा करनी है। पूरे ध्यान पूर्वक से रह के सदा, अपने स्वास्थ्य की समीक्षा करनी है।।           CORONA KAAL MEIN SWASTH REHNA BAHUT JARURI HAI... इस कोरोना जैसी महामारी में अपना अच्छा स्वास्थय रखना बहुत जरूरी है और ऐसे महामारी में हर एक के जीवन में काफी सावधानी बरतना अहम किरदार बनता है। हर एक मनुष्य को इस समय अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज नही करना चाहिए। क्यो कि अच्छे स्वास्थ्य का होना काफी आवयश्क है। आज कल हम देखते हैं कि सभी लोग कितनी लापरवाही कर रहे है और मास्क भी नही लगा रहे है और ना ही कोई सावधानी और ना ही सोसाल डिस्टनसिंग को महत्व दे रहे हैं और ऐसे में कोई परेशानी होगी तो हमेशा की तरह सरकार पर दोष देगे.... तो इस लिए किसी पर निर्भर मत रहिए क्यो कि अभी कोई वैक्सीन नही बन पाई है।          CORONA KAAL MEIN SWASTH REHNA BAHUT JARURI HAI... हम सभी को अच्छे स्वास्थ्य रखने के लिए कुछ चीज़े काफी महत्वपूर्ण है - सावधानी , सोसाल डिस्टनसिंग और म...

MAA KI MAMTA SE SARA JAG UJIYARA

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माँ की ममता से सारा जग उजियारा... BY AMIT ANANT माँ ममता की एक रूप होती है। वो तो ईश्वर की स्वरुप होती है। वो अपने बच्चों के लिए सदा, छाव कही तो कही धूप होती है।।         MAA KI MAMTA SE SARA JAG UJIYARA... माँ की ममता से सारा संसार चलता है, माँ सारे जगत को उजियारा करती है, माँ ही बच्चों की सहारा होती है। माँ की ममता जैसा प्रेम पूरी दुनिया मे कहीं नही मिलता है।माँ सदैव तपस्या रत रहती है और माँ की तपस्या से ही हम सभी के जीवन को उजाला और निवाला मिलता है माँ पूरे घर परिवार पूरे संसार को देखती- समझती और प्रेम करती है। माँ जैसा धैर्य ऊर्जा प्रेम ऎश्वर्य पुण्य गुरु देवी सहनशीलता किसी मे भी नही होती है। माँ परमात्मा की जगह पर व्याप्त है उनके प्रेम में परमात्मा का प्रेम छिपा रहता है।      MAA KI MAMTA SE SARA JAG UJIYARA... माँ की ममता की बात निराली होती है। माँ का प्रेम बच्चो के लिए अमृत के समान होता है। माँ सदैव अपने हृदय के टुकड़े को बहुत ध्यान देती है अपने नज़रों से दूर नही होने देती है। और बच्चे भी माँ से एक पल भी दूर नही रह पाते है। माँ अपने बच्चों के लालन...

YUVAON KE PRERNA STROT SWAMI VIVEKANAND

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युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद... BY AMIT ANANT स्वामी विवेकानंद जगत के ज्ञानी थे। अपने स्वभाव से बड़े स्वाभिमानी थे। वो युवाओं के हृदय में सदा रहते है, वो महापुरुष और एक स्वामी थे।।     YUVAON KE PRERNA STROT SWAMI VIVEKANAND... आज स्वामी विवेकानंद जयन्ती एवं युवा दिवस का शुभ अवसर है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को हुआ।और उनका नाम नरेंद्र दत्त था। नरेंद्र दत्त के पिता श्री विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता को मानते थे। वे पुत्र नरेंद्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता पर चलाना चाहते थे। नरेंद्र दत्त की बुद्धि बचपन से बड़ी तेज थी और उनके भीतर भगवान को पाने की लालसा ज्यादा प्रबल थी। उनको संगीत, साहित्य और दर्शन में विशेष रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती का शौक रखते थे।      YUVAON KE PRERNA STROT SWAMI VIVEKANAND... सन्‌ 1884 में उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई।और घर का सारा भार नरेंद्र दत्त पर पड़ गया।और घर की दशा बड़ी खराब थी। कुशल यही था कि नरेंद्र दत्त का विवाह नहीं हुआ था।और उस समय अत्यंत गरीबी थी, फिर भी नरेंद्र ...

KAVI HONA SAUBHAGYE HAI

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कवि होना सौभाग्य है... BY AMIT ANANT जहाँ ना पहुचे रवि  वहाँ पहुचते कवि जहाँ ना पहुचे रवि कवि वहाँ पहुचते अनुभवी जहाँ ना पहुचे कोई कभी वहाँ पहुचते कवि अभी       KAVI HONA SAUBHAGYE HAI... कवि होना सौभाग्य की बात होती है क्यो कि कवि सभी नही हो पाते है...बहुत कम ऐसे पुण्य आत्माएँ होती है जो कवि बन पाते है और कवि की हर समय अलग दृष्टिकोण होता है वो बहुत ही संवेदनसील होते है उनके उठने-बैठने, चलने ,देखने, सोचने, बोलने ,समझने एवं समझाने के तरीके ही अलग होते है वे सैदेव जन हित सेवा भाव ,समर्पण भाव, प्रेम भाव एवं मानवीय जीवन होता है उनके भीतर एक अलग एहसास भाव और प्रेम का दीप जलता रहता है वे ज़्यादातर अन्तर दृष्टि से ही हर चीजो को देखते और समझते है वे अपने आप मे ही डूबे रहते है और यह सब उनके भीतर प्रकृति होता है। और यह बहुत ही सौभाग्यपूर्ण बात होती है।       KAVI HONA SAUBHAGYE HAI... आज के इस युग के लोगों में तरह- तरह की भावनाएं होती है परन्तु कवि की भावनाओं की बात निराली होती है वे मिटटी में भी जान डालने की क्षमता रखते है और जिस वस्तु को देख लिए समझो ...