PYARA BACHPAN

प्यारा बचपन...

BY AMIT ANANT

कमजोर कंधों पर किताबों का बोझ डाल देते है।
कमजोर बच्चों पर हिसाबों का खोज डाल देते है।
उनके खेलने खाने के दिन को सब समझते नही,
कमजोर आँखों पर ख्वाबो को रोज डाल देते है।।

     PYARA BACHPAN...बचपना कितना अच्छा समय होता है। उस बचपन के समय को सोच कर ही हृदय में आनंद आ जाता है। काश वो बचपन का समय पूरे जीवन मे रहता। काश वो माँ की ममता की छाव ,पूरे जीवन मे रहती। काश माँ- दादा जी के किस्से कहानियां सब जीवन तक रहते। वो बारिश के पानी मे कागज के नाव चलाना।वो एक दूसरे से बिना बात के ही लड़ जाना। वो एक दूसरे को चिढाना। वो पिता,माता,दादा जी की डांट खाना। गलती करके डर से छिप जाना। एवं माँ की वो शिकायते जो दादा जी से करना।
      PYARA BACHPAN...यह सब कितना अच्छा समय था।परन्तु ऐसा कुछ ही समय तक रह पाता है। उसके बाद तो जीवन का अर्थ ही बदल जाता है। जैसे ही बच्चे का जन्म होता है। वैसे ही कुछ वर्षों तक तो बहुत अच्छा रहता है। वो बाल्य अवस्था, आनंदमय स्वरूप एवं मस्ती भरा पल रहता है। वो मासूमियत, आश्चर्यमय एवं रहस्यमय जीवन होता है। कितना प्यारा बचपन रहता है। और उसके बाद जैसे ही बच्चे में थोड़ी सी समझने की योग्यता आती है। वैसे ही उसको पाठशाला में जाना पड़ता है और साथ मे उन बच्चों के कंधों पर किताबो का बोझ पड़ जाता है। 
       PYARA BACHPAN...जरा सोचो छोटे छोटे बच्चों के कन्धे पर कितने सारे किताबो का बोझ डल जाता है।और बच्चे उसी बोझ को लेकर चलते चलते अपना पूरा बचपना निकाल देते है।

       PYARA BACHPAN...वैसे भी आजकल के स्कूलों में इतने सारे किताबें और विषय होते है। कि कुछ पुछो मत फिर भी बच्चों की खेल कूद मस्ती शरारत कम नही होती है।बल्कि उन किताबो का बोझा उठा कर मासूमियत से अपने मस्ती में मस्त रहते है। क्या समय हो और क्या बे समय सब हो उनकी मस्तियाँ चलती रहती है। कमाल का समय और बचपना होता है और साथ मे कितने मस्ती में रहते है। और उसके साथ साथ तरह तरह के खेल भी खेलते रहते है और कितने खुशियों भरा एवं मस्ती भरा हुआ वो समय होता है और उसके बाद वापस आकर स्कूल के होम वर्क को खत्म करते है और फिर Tv टेलीविजन में कार्टून वगेरा देखना और फिर खाना और सोना होता है।
       PYARA BACHPAN...सच मे कितना प्यारा बचपन होता है। और सच मे जो बचपन का समय होता है। वैसा समय दुबारा नही आता है। अब तो केवल उन बचपन की यादे ही ज़िन्दगी में बची रहती है।
     PYARA BACHPAN...साथियों हमारे जीवन मे जो बचपन में होता है। जो हमारे माता पिता दादा जी इन सभी से जो डाट फटकार एवं सुधार एवं साथ  मिलता है वही हमारे पूरे जीवन तक साथ चलता है। क्यों कि उनके सिखाये एवं समझाये हुए रास्तो पर ही हमारा आप का चलना होता है।
      PYARA BACHPAN...साथियों यह प्यारा बचपन लेख सत्य पर आधारित है अब आप सभी पढ़ कर अपनी राय बताने की कृपा करें।और साथ मे अपना शुभाशीष देने की कृपा करें।
                                     "धन्यवाद"

@Amit anant
          Delhi

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