MAHARISHI VALMIKI

महाऋषि वाल्मीकि...


BY AMIT ANANT

अपने तपोबल से ही वाल्मीकि ऋषि ने ज्ञान को पाये थे।
अपने ही ज्ञान से ऋषिवर ने रामायण काव्य को रचाये थे।
उनके तपोबल में आध्यात्मिक शक्तियां इतनी ज्यादा थी,
अपने तत्वों ज्ञान से ही वो महाऋषि वाल्मीकि कहलाये थे।।

       MAHARISHI VALMIKI...पृथ्वी के प्रथम वैज्ञानिक महान कवि महाऋषि वाल्मीकि जी के जन्मोत्सव पर उनके श्री चरणों मे नमन वंदन 🙏

     MAHARISHI VALMIKI...पौराणिक कथाओं के अनुसार वैदिक काल के महान ऋषि वाल्‍मीकि असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे और महर्षि वाल्मीकि का जन्म अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा को जन्मे महर्षि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण और पत्नी चर्षणी के घर हुआ था। परन्तु ऐसा कहा जाता है कि बचपन में ही भील समुदाय के लोग उन्हें चुराकर ले गए थे और उनका लालन पालन भील समाज में ही हुआ। जिसके चलते वाल्मीकि से पहले उनका नाम रत्नाकर हुआ करता था। रत्नाकर जंगल से गुजरने वाले लोगों से लूट-पाट किया करते थे पौराणिक कथाओं में पाया जाता है कि वह एक डाकू के रूप में प्रचलित हो गए थे।

   MAHARISHI VALMIKI...पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जंगल से जब नारद मुनि जा रहे थे तभी रत्नाकर ने उनको बंदी बना लिया था। और उनके साथ लूट करना चाहते थे तभी नारद ने उनसे पूछा कि ये सब पाप तुम क्यों करते हो....? तो इस पर रत्नाकर ने जवाब दिया....कि 'मैं यह सब अपने परिवार के पालन पोषण के लिए करता हूं।....नारद हैरान हुए और उन्होंने फिर उससे पूछा क्या तुम्हारा परिवार तुम्हारे पापों का फल भोगने को तैयार होगा....?? तभी रत्नाकर ने निसंकोच हां में जवाब दिया।....तो नारद जी बोले कि आप जाओ अपने घर परिवार के लोगों से पूछ कर आओ की जो हम आप लोगो के लिए उल्टे सीधे काम करके लाते है उस सब के पापो में आप सभी हमारा साथ दोगे...???तभी रत्नाकर ने अपने परिवार जनों से पूछा तो सब ने मना कर दिया। 

       MAHARISHI VALMIKI... तब दुबारा नाराद जी के पास आकर बोले सब मना कर रहे तभी नारद जी ने कहा कि वो राम नाम जपें। रत्‍नाकर ने अज्ञानतावश राम नाम का जपते- जपते मरा-मरा का जाप करने लगे। फिर धीरे-धीरे यह  राम -राम में बदल गया था। कथाओं के अनुसार, रत्नाकर ने कई वर्षों तक तपस्या की। इस कठोर तपस्या के चलते रत्नाकर के शरीर पर चीटियों ने अपना घर बना दिया था। इसके चलते ही रत्नाकर का नाम वाल्मीकि पड़ा। वाल्मीकि की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्‍हें ज्ञान का वरदान दिया। और बह्मा जी के ज्ञान एवं प्रेरणा के चलते उन्होंने महाकाव्य बाल्मीकि रामायण की रचना संस्कृति में किया।

MAHARISHI VALMIKI...

संस्कृत भाषी महान कवि महाऋषि जी की
जयंती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
🙏

@Amit anant
         Delhi

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