MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2

मुझे ज़िन्दगी का इंतजार रहेगा भाग 2...

BY AMIT ANANT

                   भाग २ (part 2)

       पीछे आप ने पढ़ा......ना चाहते हुए भी अपने हृदय के दर्द को दवा कर हरिश्चन्द्र रुक्मिणी कोमल बिटिया को ले कर घर आये। ....अब आगे.....

      MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...कोमल जैसे ही घर पहुँची वैसे ही उसके चारों भाई की चेहरे पर मुस्कुराहट आई। पर हरिश्चन्द्र मन ही मन बहुत परेशान था उसके समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे। और डॉक्टर की बात को अपने बीबी और बच्चों को बता नही सकता था फिर हाल आगे की ज़िन्दगी जैसे चलती थी वैसे चलने लगी।धीरे धीरे करके एक महीना हो गया।सभी बच्चे अपने बहन कोमल के साथ हँसते खेलते रहते थे एक दिन शाम को अचानक कोमल को एहसास हुआ और कुछ बातें याद आ गयी की अस्पताल में जाँच करते समय जो बात डॉक्टर और सिस्टर्स में हुई थी वो याद आ गया तो कोमल अपने बाबू जी से बड़े प्यार से कहती है। बाबू जी ये किडनी क्या होती है...??उस दिन डॉक्टर चाचा बोल रहे थे कि इस लड़की किडनी खराब है। 

       MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...बाबू जी बोले बिटिया वो पेट के अन्दर कोई समान है जो खराब हुआ है।अब दवाई खा रही हो ठीक हो जायेगा।कोमल बोली बाबू जी डॉक्टर चाचा ये भी बोल रहे थे कि इसके ईस्वर ही बचाये तो क्या मैं मर जाऊँगी बाबू जी..??नही बिटिया तुमको कुछ नही होगा।कहते हुए हरिश्चन्द्र रोने लगे।तब रुक्मिणी बोली हमको बताओ क्या बात है।तब रोते हुए डॉक्टर की सारी बाते बताई।तो रुक्मिणी रोने लगी और बोली कि हे भगवान हमारी बिटिया जान बचाओ हम इसके बिना नही रह पायेंगे तब कोमल बोली मुस्कराते हुए अम्मा हमको कुछ नही होगा।मुझे ज़िन्दगी का इंतजार रहेगा..यह बोल कर लेट गयी।अब हरिश्चन्द्र और रुक्मिणी भी सोचते हुए लेट गये।

कोमल को ज़िन्दगी का इंतजार रहेगा।

कोमल को इस दुनिया से प्यार रहेगा।

गर ज़िन्दगी मिलती है तो खुश रहेगी,

कोमल को खुद पर भी ऐतवार रहेगा।।

    MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...अगले दिन सुबह रोज की तरह हरिश्चन्द्र अपने काम पर चले गये और चारो बच्चे पाठशाला चले गये और रुक्मिणी घर की कामो में लग गयी कोमल खाना और दवा खा कर अपना खेलने लगी। हरिश्चन्द्र भी सोचते हुए काम कर रहा था उसका पूरा ध्यान अपने बिटिया पर लगा है इधर रुक्मिणी भी अपने काम को करते हुए वही बात बार बार सोच रही है और बार बार भगवान से मन ही मन प्रार्थना कर रही है कि हे भगवान हमारी बिटिया को ठीक कर दो उसकी जगह हमको उठा लो भगवान।

    MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...इतने में बाहर सड़क पर तेज से आवाज आई अम्मा रुक्मिणी दौड़ कर गयी और देखा तो एक कार आगे जा कर रुकी है और उसमें से एक महिला एक पुरूष निकल के पीछे की ओर तेजी से आ रहे है रुक्मिणी ने देखा कोमल सड़क पर खून से लथपथ पढ़ी है।रुक्मिणी रोते हुए कोमल को उठाई और वो महिला पुरूष भी आके रुक्मिणी से बोले बहन जी इसको मेरे साथ लेकर चलो डॉक्टर के यहाँ तुरन्त उसको डॉक्टर के यहाँ ले कर गये डॉक्टर ने जाँच किया तो डॉक्टर साहब बोले कास थोड़ा और पहले लाते...माफ करना अब देरी हो गयी है।

      MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...रुक्मिणी को झटका लगा और गिर गयी बिहोस हो गयी।इतने में डॉक्टर साहब ने पुलिस को फोन कर दिए थे और घर के पड़ोसी ने हरिश्चन्द्र को खबर दे दिया जा कर की आप की बिटिया को गाड़ी के नीचे आ गयी है तो अस्पताल लेकर गये है हरिश्चन्द्र भी साइकिल लेकर जल्दी जल्दी अस्पताल पहुँचे।पर कोमल जा चुकी थी और पत्नी रुक्मिणी बिहोस की हालत में पढ़ी थी और पुलिस वाले सारी लिखा पढ़ी कर रहे थे फिर रुक्मिणी को होस आया।और रोने लगी फिर कोमल के मृत शरीर को सभी लेकर हरिश्चन्द्र के घर आये।पूरा मोहल्ला की भीड़ हो गयी और कोमल के चारो भाई भी रो रहे थे।

    MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...फिर सब ने समझाया और शाम को ४ बजे कोमल के मृत शरीर को अंतिम संस्कार किया गया फिर शाम को वो महिला पुरूष और पुलिस वालों के सामने हरिश्चन्द्र को बोला कि हमको क्षमा करना हमारी वजह से आप की बिटिया की मृत्यु हो गयी। तो पुलिस वाले ने बोला कि हरिश्चन्द्र अगर तुम इसके खिलाफ लिख कर दे दो तो हम इस इंसान को सजा दिलवायेंगे।तब हरिश्चन्द्र बोले साहब मैं क्या लिख कर दूँगा।इनको सजा मिलने से हमारी बेटी लौट के नही आयेंगी।

       MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...तब वो महिला पुरुष जिसका नाम विनोद और निर्मला था वो विनोद जी ने बोला कि हम आप की बेटी तो नही ला सकते है पर हम एक सफ्ताह के अन्दर हरिश्चन्द्र जी को 10 लाख रुपये दे दूँगा जिनसे इनकी गरीबी और इनके 4 बच्चों की ज़िन्दगी सवर जायेंगी। तब हरिश्चन्द्र औऱ रुक्मिणी बोले नही साहब हमको पैसा नही चाहिए।तब पुलिस वालों ने समझाया दोनों को की देखो जो होना था हो गया पर आगे आप के बच्चों का जीवन सुधर जाएगा।और गाँव वाले भी सभी बोले कि हरिश्चन्द्र साहब लोग ठीक बोल रहे है।ले लीजिएगा पैसा।तो हरिश्चन्द्र बोले ठीक है जैसे आप सभी की मर्जी।

      MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...फिर पुलिस वाले थाने चले गये।और विनोद निर्मला अपने घर चले गये।अगले दिन सुबह विनोद निर्मला दुबारा आये।और हरिश्चन्द्र को बैंक में ले जाकर उनका खाता खुलवा कर 10 लाख उनके खाते में जमा करवा कर वापस आये फिर 50 हजार रुपये अलग से हरिश्चन्द्र के हाथ पर रख कर और साथ मे अपना कार्ड दे कर हाथ जोड़ कर बोले कि आप को कभी भी कोई भी परेशानी हो तो हमको फोन करना बोल कर विनोद निर्मला थाने आये।और इंस्पेक्टर साहब से मिलकर उनका धन्यवाद करके और सारी बाते बता कर अपने घर आये।अब हरिश्चन्द्र के जीवन मे परिवर्तन आया पर कोमल को खो जाने के बाद।।

अपने परिवार का जीवन उद्धार कर गयी।

अपने माता पिता भाई को प्यार कर गयी।

अपनी ज़िन्दगी को कुरबान करके देखो,

अपने घर के स्थिति को सुधार कर गयी।।

        MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...तो साथियों कोमल अपने घर परिवार को अपनी जान देकर आबाद कर दिया। और विधि का विधान और समय ने कैसे कैसे मोड़ ले कर इस परिवार साथ क्या क्या किया।

      MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...साथियों इस लेख से हमे यही सीखने को मिला कि कोशिश कितनी भी कर लो लेकिन होता वही है जो विधाता ने लिखा है।

      MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 2...ये लेख कैसे लगा हमे अपने कमेंट के माध्यम से अवगत कराएं और साथ मे अपना शुभाशीष देने की कृपा करें

                                           "धन्यवाद"

@Amit anant
         Delhi

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