HINDI HI HIND HAI
हिन्दी ही हिन्द है...
जो हिंदुस्तान में जन्म लिया है उसकी हिन्दी भाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी सुर ताल में बड़ी मिठास है।
हिन्दी सदैव बोले यही प्रयास है।।
हिन्दी मे मधुर गीत सभी गाते है।
हिन्दी मे मधुर प्रेम रीत लुभाते है।।
हिन्दी मे पंछी- कोयल की सुर ताल देखना आता है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी जैसे सरल कोई भाषा नही है।
हिन्दी के सामने कोई आता नही है।।
हिन्दी बड़ी अनमोल एक वाणी है।
हिन्दी बड़ी प्रेम मधुर एक वाणी है।।
ऐसे प्रेम मधुर वाणी निकले सदा ये मेरी अभिलाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी हमारे लहूँ में हरदम रहती है।
हिन्दी हमारे लब्जो से यह कहती है।।
हिन्दी को हम सब लिखते रहते है।
हिन्दी में सारे काम करो ये कहते है।।
हिन्दी हमारे वाणी से निकले सदा यही हमारी आशा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी जैसा कोई सुन्दर लेख नही है।
हिन्दी जैसा कोई भी सुलेख नही है।।
हिन्दी जैसा कोई सुन्दर रचना नही है।
हिन्दी जैसा कोई सुन्दर वचना नही है।।
हिन्दी हमारे जीवन अधिकार ही हमारी परिभाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी मे ही भगवन भक्ति होती है।
हिन्दी मे मर मिटने की शक्ति होती है।।
हिन्दी मे हिंदुस्तान की जान बसती है।
हिन्दी मे सरहदों की आन बसती है।।
हिन्दी वतन की बोली है हिन्दी ही वतन की भाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी को मेरे देश मे सभी मनाते है।
हिन्दी दिवस यहाँ पर सभी जानते है।।
हिन्दी हमारे रग रग में बसती है।
हिन्दी हमारे जग जग में रचती है।।
मेरे देश मे हिन्दी सभी लिखते है यही हमारी भाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी हमारे देश की शान होती है।
हिन्दी से देश की पहचान होती है।।
हिन्दी मे सारी बात चीत होती है।
हिन्दी मे सारी प्रेम प्रीत होती है।।
यह हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को आता है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हमारे हिन्द मे गंगा माँ बहती है।
हमारे हिन्द मे यमुना माँ रहती है।।
हमारे हिन्द की मिट्टी सोना उगले है।
मेरे हिन्द की संस्कृति से खुशबू निकले है।।
हिन्दी संस्कृति हमारे देश की बहुत बड़ी परिभाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हमारे हिन्द मे हरदम हरियाली रहती है।
हमारे हिन्द की हर बात निराली रहती है।।
हमारे भारत मे जो प्रेम भाव रहता है।
भारत को देख कर पूरा विश्व कहता है।।
भारत देश की संस्कृति में क्या प्रेम भाव की भाषा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हमारे हिन्द मे प्रेम व्यवहार की भाषा है।
हमारे हिन्द में हिन्दी की सुन्दर भाषा है।।
हमारे हिन्द मे संस्कृति संस्कार की रीती है
हमारे हिन्द मे हर मानस की प्रेम में प्रीति है।।
इस देश मे सब रखते है एक दूसरे से प्रेम की आशा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
हिन्दी मे अपनी हिन्द को माता कहते है।
हिन्दी मे अपने भाई को भ्राता कहते है।
हिन्दी मे भाभी को भी माता कहते है।।
भाभी माता के आँचल में सब रहते है।।
रिस्तो की डोर के साथ रहते है यही प्रेम की आशा है।
सब देवी देवता तरस रहे है यह उनकी अभिलाषा है।।
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