NAFRAT
"नफरत"
BY AMIT ANANT
नफ़रत भरी है लोगों में प्रेम में कब आयेंगे।
जब प्रेम में आ जायेंगे शायद ही रह पायेंगे।।
NAFRAT...आज के इस युग मे लोगों में नफ़रत का विकास अधिक हो गया है कहीं भी किसी भी रिश्ते को देखो,चाहे मित्र हो, दफ्तर का साथी हो,या कोई सगा सम्बन्धी हो सभी मे नफरत बहुत अधिक है मानो इस धरा पर नफरतों का बोल बाला ज्यादा ही हो गया है जो कि बिलकुल ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। चारो तरफ लोग एक दूसरे से नफ़रत कर रहे है।जो कि इस धरा पर कुछ ही समय रहना है फिर भी लोगों को समझ नही आ रहा है कि ये नफ़रत क्यों किया जाए।
NAFRAT...लोगों में प्रेम,भाव,मानवता, होनी चाहिए,पर नही है केवल नफ़रतों में जीवन यापन कर रहे है और इस नफ़रत का सबसे बड़ा कारण है कि लोग किसी की बात को समझना और सुनना नही चाहते है सब अपने आप को एक दूसरे से बड़े और अग्रसर मानते है सब कुछ देखते और समझते हुए भी लोग अपने नफ़रत को रोक नही पाते है।
NAFRAT...वो नफ़रत लोगो के चेहरे पर ज़ाहिर हो ही जाती है और इसका एक कारण यह भी है कि लोगों के भीतर आत्मविश्वास की कमी सी हो गयीं है और साथ मे सहनशीलता की कमी भी हो गयी है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मन की गति में वृद्धि हो गयीं है जो कि यह उनके लिए ही हानिकारक है फिर भी समझना नही चाहते है बस उनको यह लगता है कि मेरा पड़ोसी या मेरा मित्र या मेरा सगा सम्बधी मेरे से आगे कैसे हो गया है।
NAFRAT...जब की उसको तो इतनी जानकारी और ज्ञान भी नही है और ना ही उसकी इतनी पढ़ाई लिखाई किया है फिर भी हम से आगे क्यों और कैसे निकल गया है बस ऐसे ही बातों को लेकर लोगों के मन की शान्ती भंग हो जाती है फिर उनको उससे नफरत हो जाती है और फिर अपने दिनचर्या में उसकी आगे बढ़ने की अहमियत ज्यादा रख कर अपने काम और अपने मन की गति बढ़ा लेते है जिस से उनको बस अपने अच्छाई में और अपने अच्छे कर्मों को भी नुकसान होना शुरू हो जाता है और सामने वाले के लिए उनके हृदय में अधिक नफ़रत हो जाती है।
NAFRAT...फिर उसको नीचा दिखाने के चक्कर मे खुद ही नीचे होना शुरू हो जाते है और फिर उसका परिणाम स्वरूप कुछ समय बात उनको दिखाई देना शुरु हो जाता है और पूर्णरुप से इस बात को लोग समझते और जानते और देखते हुए फिर भी ध्यान नही देते है आगे बढ़ने के चक्कर मे लगे रहते है और उनको दिखाई सब देता है पर गौर नही कर पाते है और अपने ही विनाश को आगे अग्रसर करते जाते है। और आगे चल कर अपना ही नुकसान कर लेते है।
NAFRAT...हमारे कहने का सिर्फ इतना ही भाव है कि चार दिन या कुछ ही समय का जीवन है। तो सभी आपस मे प्रेम, भाव ,मानवता और मिठास के साथ सभी एक दूसरे के साथ देते हुए आनन्दित रहते हुए अपने जीवन को यापन करने चाहिए।वैसे भी ये जीवन बहुत ही सौभाग्य से मिला हुआ है तो इस जीवन मे ऐसे जीना चाहिए की जिससे लोगो के हृदय में रह सके।
जीवन इतना अनमोल है इस पर अभिमान करो।
जीवन में बड़ो का हर दम हृदय से सम्मान करो।
क्यों कि भरोसा नही है साँसो का कब रुक जाए,
जीवन मे सदैव अपने हाथों से कार्य महान करो।।
NAFRAT...हमारा लेख कैसा लगा ये हमे कमेंट के माध्यम से बताने की कृपा करें और साथ मे अपना शुभाशीष देने की कृपा करें।
धन्यवाद
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