MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1
"मुझे ज़िन्दगी का इंतजार रहेगा"
भाग १ (part 1)
BY AMIT ANANT
गरीबो की ज़िन्दगी का कोई मोल नही होता।
गरीबो के भावनाओ का कोई तोल नही होता।
इन गरीबो को समझते है लोग पाँव की जूती,
तभी तो गरीब के शब्द का कोई बोल नही होता।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...एक गाँव के बहुत गरीब परिवार में ४ चार पुत्र और एक पुत्री होती है पहले पुत्र कमल की उम्र १२ वर्ष, दूसरे पुत्र विमल १० वर्ष,तीसरे पुत्र निर्मल ८ वर्ष,और चौथे पुत्र उज्वल ६ वर्ष और पुत्री कोमल ४ वर्ष होती है और इनके माता पिता हरिश्चन्द्र और उनकी पत्नी रुक्मिणी होती है। हरिश्चन्द्र एक मजदूर होता है, दिन भर काम करके जितना मिलता था उस से बड़ी मुश्किल से रोटी खा पाते थे।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...हरिश्चन्द्र की एक छोटी सी मिटटी की झोपड़ी होती है, ऊपर छप्पर डाल कर उसी में सभी एक साथ रहते थे। बरसात में उनकी झोपड़ी में पानी भी टपकता था बहुत ही मुश्किल से जीवन यापन करते थे। एक दिन हरिश्चन्द्र को एक मकान में बनाने में मजदूरी करने का काम मिला बिल्डिंग बड़ी बननी थी तो उसको लगा कि इसमें बहुत दिनों तक काम करने को मिलेगा वो खुश हुआ।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...हरिश्चन्द्र काम करने लगा और 2 दो दिन काम किया तो दूसरे दिन वो बिल्डिंग के ठेकेदार को बोला साहब हमारे घर मे खाने के लिए अनाज सब्जी नही है तो कुछ पैसे दो साहब तो ठेकेदार ने कुछ थोड़े से पैसे दिए और बोले कि देखो हम तुम सबको रोज रोज पैसे नही दूँगा आज ले लो उसके बाद 15 दिन में एक बार पैसे दूँगा तो सब बोले ठीक है साहब अब 15 दिन काम करने के बाद फिर पैसे मांगे तो ठेकेदार बोला अभी पैसे आने वाला है तो जैसे आएगा वैसे ही दे दूंगा।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...धीरे धीरे करते करते 10 दिन बीत गया किन्तु पैसे नही दिए तब सब मजदूरों ने कहा कि साहब आज 25 दिन हो गया पैसे दो तो कम करेंगे नही तो नही कर पाएंगे तो ठेजेदार ने बोला ठीक 5 दिन और कार लो मैं 5 दिन में तुम सबको पैसे दे दूंगा 5 दिन के बाद ठेकेदार ने कहा कि कल तुम सब को पैसे दूँगा वो ठेकेदार ठेका छोड़ के भाग गया अब तो मानो हरिश्चन्द्र के ऊपर पहाड़ टूट गया हो तो वो सब मजदूरों ने काम बंद कर दिया फिर मालिक आया तो सब मजदूर लोग बताये तो मालिक ने सब मजदूरों को अपने जेब से पैसे दिए और खुश हो कर घर आया हरिश्चन्द्र फिर अगले दिन काम की तलाश में दूसरी जगह गया क्यों कि उस मालिक ने काम बंद कर दिया था किसी कारण बस।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...अगले दिन हरिश्चन्द्र पूरे दिन चोक पर बैठ कर वापस आ गया कोई काम नही मिला बड़ी मुश्किल से और निराश भरा हरिश्चन्द्र का जीवन चलता था किंतु कोमल पुत्री बहुत प्यारी और सुन्दर होती है और साथ मे सभी की लाडली थी।
एक मजदूर पसीना बना के बहाता है।
हरदम मेहनत करके कमा के खाता है।
फिर भी लोग उनके मेहनत नही देते ,
खुद और सबको मेहनत से खिलाता है।।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...जैसे तैसे करके धीरे धीरे इन सब का जीवन चल रहा था। चारो पुत्र सरकारी पाठशाला में पढ़ने जाते थे पर रोज रोज पाठ शाला के बच्चों के बीच मे उपहास का पात्र बनते थे, क्यों कि ग़रीबी की वजह से उनके पुराने फटे हुए कपड़े होते थे नंगे पाँव रहते थे इस लिए पूरे पाठशाला के बच्चे उनका उपहास मजाक उड़ाते थे। फिर भी उन चारों बच्चों में धैर्य शक्ति अधिक होने की वजह से सब कुछ सह लेते थे। और जब घर आते तो अपनी प्यारी सी परी कोमल का चेहरा देख कर सारे दिन की अपने उपहास को ऐसे भुला देते थे मानो उनके जीवन मे खुशिया बहुत है।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...धीरे धीरे इन सबकी ज़िन्दगी चल रही थी अचानक एक दिन सुबह सुबह कोमल बिटिया बहुत रोने लगी और चुप ही नही हो रही थी। तो आनन फानन में हरिश्चन्द्र रुक्मिणी ने साइकिल से १० मील दूर सरकारी अस्पताल में लेकर गये कोमल पूरे रास्ते रो ही रही थी अस्पताल में डॉक्टरों ने चेक करके दवा दिए तो थोड़ा आराम हुआ फिर हरिश्चन्द्र ने डॉक्टर साहब से पूछा साहब हमारी बिटिया को क्या हुआ था क्यों इतना रो रही थी साहब...?डॉक्टर साहब बोले आप के बेटी के पेट मे दर्द बहुत हो रहा था इस लिए रो रही थी अब हमने दवा दिया है वो आराम कर रही है थोड़ी देर रुको एक जाँच करवा लें फिर हमको पता चल जाएगा कि क्यों दर्द हो रहा था।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...अब तुम लोग बाहर इतंजार कीजिये मैं आप को बुला लूँगा ओके।अच्छा साहब हरिश्चन्द्र बोल कर बाहर निकले इतने में रुक्मिणी बोली क्या हुआ है हमारी कोमल को बताओ ना..हरिश्चन्द्र बोले अभी डॉक्टर साहब जाँच करके बतायेगे।बाहर बैठने के लिए बोले डॉक्टर साहब। अब दोनों मुह लटका कर बैठ गये।उधर कोमल सो रही है। रुक्मिणी बार बार बिटिया को बाहर सीसे से देख रही थी फिर डॉक्टर साहब ने उसकी जाँच करने आये जाँच करके अपने कमरे में गये। फिर डॉक्टर साहब ने हरिश्चन्द्र को बुलाये।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...हरिश्चन्द्र दौड़ कर आया तो डॉक्टर साहब ने बताया कि आप की बिटिया की तबियत अब ठीक है थोड़ी देर में होस आ जायेगा लेकिन ...एक बात आप को बताता हूँ अपने घर मे किसी को नही बताना ओके ठीक है साहब हम नही बतायेगे आप बताओ साहब तो डॉक्टर साहब बोले कि कोमल बिटिया की एक किडनी खराब है पूरी तरह खराब से और दूसरी किडनी में १०प्रतिसत काम कर रही है इस वजह से उसको दर्द बहुत हुआ और दुर्भाग्या की बात यह है कि जब तक चल रही है तभी तक वरना इसका बचना मुश्किल है।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...डॉक्टर की बात सुनकर मानो आसमान गिर गया हो अब हरिश्चन्द्र रोने लगा बोला साहब हमारी बिटिया को बचाय लो आप की बहुत मेहरवानी होगी हाथ जोड़ कर।डॉक्टर साहब बोले अब तो ईस्वर ही कुछ कर सकता है।
गरीब की ज़िन्दगी बड़ी मुश्किल से चलती है।
गरीब की मुसीबतें बड़ी मुश्किल से टलती है।
गर आसानी से गरीबो का हर काम हो जाये,
गरीब की मुसीबतें तो आसानी से ढलती है।।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...इतने में रुक्मिणी दौड़ कर आई बोली कोमल को होस आ गया है।डॉक्टर और हरिश्चन्द्र सब कोमल के पास पहुँचे तो मुस्कुराते हुए बोली बाबू जी हमारे पेट का दर्द ठीक हो गया है।अब हमको घर ले चलो बाबू जी।कोमल की बातें सुन कर सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई लेकिन हरिश्चन्द्र के आँखों मे आँसू आ गया।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...फिर डॉक्टर साहब हरिश्चन्द्र को लेकर अपने केविन में गये।और बोले कि ये कुछ दवाइयों को रख लो खिलाते रहना।और घर ले जाइये कोमल को और कोई परेशानी हो तो लेकर आना।और ध्यान रहे कि जो हम बताये है वो किसी को नही बताना नही तो सबको तकलीफ होगी।अब कोमल को लेकर जाओ। ना चाहते हुए भी अपने हृदय के दर्द को दवा कर हरिश्चन्द्र रुक्मिणी कोमल बिटिया को ले कर घर आये।
MUJHE ZINDAGI KA INTZAAR RAHEGA PART 1...साथियों आगे की कहानी बहुत जल्द आप सभी के समक्ष आ जायेगी....।।तब तक लिए आप सभी नमस्कार,प्रणाम, राम राम जय हिंद वंदेमातरम😊🙏
धन्यवाद
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