JALNE KE BHAV
जलने के भाव
BY AMIT ANANT
07/02/2019
कविता
सब एक दूजे से जलते है।
जलने वाले सब जलते है,
करने वाले सब करते है।।
इन्सान ईर्ष्या भाव रख के,
हरदम इंसान से जलता है।
कर कुछ पाता नही तो भी,
हरदम कोशिश में रहता है।
कि जलने से कुछ होता नही,
फिर भी वो खून जलाता है।
जल जल के अपने अंदर में,
वो क्रोध इतना बनाता है।
इंसान हो करके इंसान से,
जलने से क्या कुछ मिलते है।
जलने वाले सब जलते है,
करने वाले सब करते है।।
कि चेहरे का भाव देख कर,
जलना हमको महसूस हुआ।
आंखों ने मेरे जब देखा,
दिल में पीड़ा महसूस हुआ।
कि ईर्ष्या भाव तुम रखते हो,
उसको भी तुम महसूस करो।
जलने का काम अग्नि का है,
उसको भी तुम महसूस करो।
कोशिशे तू जितनी मर्जी कर,
होगा वही जो वो करते है।
जलने वाले सब जलते है,
करने वाले सब करते है।।
कोशिश कितना भी कर ले तू,
एक दिन तो सच में जलना है।
तब कोई साथ नही देगा,
जब तुझको भी तो मरना है।
जलने से क्या कुछ मिलता है,
कि जिसमे लोग भी जलते है।
चाहे जितना जलते रहना,
फिर तुमको भी कुछ करना है।
जल मत प्यारे बदल लें भाव,
सभी से प्रेम चल करते है।
जलने वाले सब जलते है,
करने वाले सब करते है।।
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Delhi
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