JEEVAN SANGHARSH
जीवन संघर्ष
JEEVAN SANGHARSH...हर एक मनुष्य के जीवन मे दिन रात भाग दौड़ ही रहती है मानो जीवन में केवल यही होता है। जैसे यह पाँव कभी रुकते ही नही है,हर एक दिन वही रोज की तरह घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आना जाना होता है। साथ मे इतनी सारी उलझनों के साथ मे रहना होता है, मानो जीवन के सारे बोझ को उठा कर घूमते है। हर रोज सुबह सूर्य निकलता है और पता ही नही चलता है कि शाम कब हो गई, दिन ढल गया बेमतलब की चिंताओं को बोझ की तरह सिर पर सवार रहती है। मानो जिंदगी उन्ही चिंताओं में उलझी सी रहती है, मानो जीवन ठहर सा जाता है। घर से निकलते है रास्ते मे चलते चलते कब धूप हुई कब दोपहर हुई और कब शाम हो गई पता ही नही चल पाता है। ऐसे ही रोज धूप छाव होती रहती है और पूरे जीवन मे यही उतार चढ़ाव लगा रहता है और साथ मे परिवार की इतनी सारी जिम्मेदारी होती है कि कुछ पूछो मत। और किसी को कुछ चाहिए तो किसी को कुछ।
JEEVAN SANGHARSH...इन सब को लेकर चलते चलते इंसान कब, कैसे और कहाँ ठहराव कर जाता है पता ही नही चलता है।कई बार तो कई ऐसे इंसान भी होते है कि जीवन का बोझ उठाते उठाते अपने आत्मविश्वास को भी खो देते है और कई ऐसे भी होते है जो हँसते हुए इन सब बोझ को उठाते हुए कदम बढ़ाते है। पर हँसते हुए जो इन सब का बोझ को उठाते है सही मायने में वही जीवन का भरपूर रूप से आनन्द ले पाते है।
JEEVAN SANGHARSH...प्यारे साथियों जीवन संघर्ष भरा जरूर होता है, पर उसको अगर हँसते हुए धीरे धीरे समझदारी से एक एक करके प्यार से कदम बढ़ाए जाये, तो संघर्ष भरा जीवन भी पूर्ण रूप से आनन्दमय जिया जा सकता है।
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बहुत उम्दा रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद..😊🙏
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