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Showing posts from February, 2021

NALAYAK SANTAN KE HONE SE BEHTAR,BINA SANTAN REHNA...

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नालायक संतान के होने से बेहतर, बिना संतान रहना BY AMIT ANANT बड़े बुजुर्गों की बात समझने वाली होती है। बड़े बुजुर्गों की साथ बहुत निराली होती है। उनके अनुभव का स्वाद बड़ा कड़वा होता है,  पर उनके कहे वचन बड़े मतवाली होती है।।     NALAYAK SANTAN KE HONE SE BEHTAR, BINA SANTAN REHNA... आजकल के समय को देखते हुए वो बड़े बुजुर्गों की बातों में सत्यता दिखाई देता है।हमारे बड़े बुजुर्गों सदैव सत्य ही बोलते थे।और जो बाते उन्होंने बोली थी ,आज के समय मे शत प्रतिशत सत्य हो रही है। वे लोग बच्चे की चाल-चलन को देख कर पहले ही बोल देते थे कि ये बालक कैसे होगा और इसका क्या परिणाम परिवार वा समाज पर पड़ेगा।उनका मानना था कि नालायक संतान के होने से कहीं ज्यादा बेहतर,बिना संतान के रहना होता है।क्यो कि, उस एक नालायक संतान से घर-परिवार की मान- मारियदा और सामाजिक बहिष्कार तक हो जाता है।और तरह-तरह की समस्याओं का जन्म होता है।     NALAYAK SANTAN KE HONE SE BEHTAR, BINA SANTAN REHNA... बड़े बुजुर्ग हमेशा से बहुत दूर तक सोच के चलते थे, और यही कारण होता था कि उनको अनुभव बहुत अधिक होता था , और अपने जीवन...

KHILWAD KARNA INSAAN KI AADAT HO GYI HAI...

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खिलवाड़ करना इंसान की आदत हो गयी है। BY AMIT ANANT लोग खिलवाड़ जज्बातों से करते है। लोग खिलवाड़ एहसासों से करते है। खिलवाड़ करने से शायद मजा आता है, लोग खिलवाड़ हर सासों से करते है।।       KHILWAD KARNA INSAAN KI AADAT HO GYI HAI... आजकल हर चीज से खिडवाल करना इंसान की आदत हो गयी है। चाहे प्राकृतिक हो,चाहे भावनाएं हो, चाहे कोई वस्तु हो और चाहे रिस्ते नाते हो। कुछ भी हो ,कोई भी सम्बन्ध हो ,पर हर चीज से खिलवाड़ करना इंसान की आदत होती जा रही है जो कि ऐसा होना बहुत ही गलत और दुर्भाग्यपूर्ण होता जा रहा है। क्यो की यह आदते आगे चल कर बहुत ही नुकसान दयाक होती है।   KHILWAD KARNA INSAAN KI AADAT HO GYI HAI... आजकल के खिलवाड़ की वजह से सारे रिस्ते, नाते,संगे, सम्बधी, और मित्रगण भी धीरे धीरे दूर होते जा रहे है।क्योंकि जाने अनजाने में ही सही खिडवाल से उनके आंतरिक चोटें लगती है और फिर वो बोलना नही चाहते और चोट की पीड़ा को बर्दाश्त करके एक दूसरे से दूरियाँ बनाना शुरू कर देते है।और इनमें सबसे अहम रोल दिखावेपन की होती है। क्यो की लोग अपने आप को बड़ा और स्मार्ट दिखाने के चक्कर मे एक दूसरे से ख...

DOSH DENA KITNA AASAAN HOTA HAI...

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दोष देना कितना आसान होता है... BY AMIT ANANT दोष देना सबकी,आदत सी हो गयी। रोज देना सबकी,चाहत सी हो गयी। अपनी गलतियों थोपते है दूसरो पर, थोप देना सबकी,राहत सी हो गयी।।     DOSH DENA KITNA AASAAN HOTA HAI... दोष देना कितना आसान होता है। कोई अच्छा काम हो जाये तो अपने आप को गर्व महसूस करते है।और कोई बुरा काम हो जाये, तो सामने वाले को दोष देते है।या फिर ईश्वर को दोष देते है या ,किस्मत को दोष देते है। मतलब, यह ऐसा माहौल बन गया गया है इंसानी फितरत में, की कुछ पुछो मत। बस अच्छा होता रहे तो अच्छा ही अच्छा है और गलती से भी बुरा हो जाये तो,केवल दोष देना है अपने गलती को भी नही समझना एवं सुधरना चाहते है।     DOSH DENA KITNA AASAAN HOTA HAI... आज कल के समय में सब लोगो का सारे कार्य अच्छा ही होना चाहिए कुछ गलत नही होना चाहिए। मतलब सब को केवल सुख की ही अपेक्षा रहती है।दुख लेना और समझना नही चाहते है। जो कि बिना दुख के अनुभूति से सुख का स्वाद नही मिलेगा, फिर भी सब को केवल सुख की जरूरत होती है। जरा सोचिए कि गर दुःख आकर आप को परेशान नही करेगा, तो कैसे अपने आप को समझ पाओगे और कैसे अपने आ...

JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA...

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जीवन मे अपेक्षाएं रखना उचित नही होता... BY AMIT ANANT सब पाने की चाह में लोग अँधे हो गए। सब चाहने की राह में लोग गंदे हो गए। जो सच्चे राह चल लिए अपने जीवन मे, वो दुनिया के अच्छे से लोग बंदे हो गए।।         JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA... जीवन मे अपेक्षाएं रखना उचित नही होता...जी हाँ, आजकल के समय मे लोग अपेक्षाएं बहुत रखते है, जो कि बिलकुल अनुचित होती है। जबकि सही मायने में इन्सान को केवल अपने कर्मों को ईमानदारी से करना चाहिए ,किसी प्रकार की अपेक्षाएं नही रखनी चाहिए...परन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि लोग कुछ भी करते है, तो उसके प्रति एक अपेक्षा रख लेते है,  की हमने यह किया है इसका कुछ ना कुछ फायदा जरूर ही मिलेगा, जो कि बिलकुल गलत है। अगर हम कर्मो के प्रति हरदम अपेक्षा ही रखेगे, तो इंसानियत कहाँ रहेगी, प्रेम भाव कहाँ रहेगा। ये सब तो खत्म ही हो जाएगा। क्यो कि, जहाँ पर स्वार्थ रूपी अपेक्षाएं आ जाती है, वहाँ पर प्रेम, भाव, समर्पण और इंसानियत नही रह जाती है।और यही सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है, जिससे इंसानियत ,प्रेम,भाव और समर्पण धीरे-धीरे कम होता जा रहा ...